मकड़ाई समाचार ग्वालियर/दतिया। आखिर 48 घंटे बाद जब सिंध का जलस्तर कम हुआ ताे शहर के लाेगाें ने राहत की सांस ली। हालांकि बाढ़ अपने पीछे भीषण तबाही का मंजर छाेड़ गई है। जनहानि ताे नहीं हुई, लेकिन लाेगाें काे इससे हुए नुकसान से उबरने में सालाें लग जाएंगे। जब बाढ़ आई ताे लाेग अपने घराें में ताला डालकर सुरक्षित स्थानाें पर चले गए थे। अब पानी उतरने के बाद जब वह अपने घर लाैटे ताे दरवाजे पर ताले ताे अब भी लगे थे, लेकिन मकान जमीदाेंज हाे चुका था। यह मंजर देख लाेगाें की आंखे छलछला उठीं। एक तरफ जान बचने की खुशी थी ताे दूसरी तरफ बसा बसाया संसार उजड़ जाने का दुख भी था।
सिंध नदी के जलस्तर बढ़ने के बाद पिछले दाे दिन लाेगाें के लिए पहाड़ के समान गुजरे हैं। नदी के पानी की गड़गड़ाहट लाेग अब तक महसूस कर रहे हैं। सेवढा इलाके में लाेगाें के दिलाें में अब तक बाढ़ की दहशत है। बुधवार रात दस बजे जब जलस्तर घटना शुरू हुआ ताे लाेगाें ने राहत की सांस ली। बाढ़ के कारण सनकुआ धाम समेत सिंध नदी किनारे बने घर मकान धराशाही हाे चुके हैं। नईदुनिया की टीम जब सिंध किनारे बने गांवाें का जायजा लेने पहुंची ताे सैकड़ों की संख्या में घर मकान टूटी फूटी हालत में दिखाई दिए। वहीं घर मकानों के बाहर से लगे दरबाजो पर ताले ताे लटक रहे थे, लेकिन मकान धराशायी हो चुके थे।
ओपीडी हुई चालूः सिंध नदी का जलस्तर बढ़ा ताे सिविल अस्पताल भी चपेट में आने से नहीं बच सका। अस्पताल परिसर में पानी भरने के बाद ओपीडी का संचालन बंद कर दिया गया था। वहीं मेडिकल आफिसर डा नरेंद्र शर्मा ने खतरे की आशंका काे देखते हुए परिसर काे तत्काल खाली करा दिया था। हालांकि पुराने अस्पताल में ओपीडी का संचालन अब शुरू कर दिया गया है। जिससे बीमार लाेगाें काे इलाज में अब काेई परेशानी नहीं आ रही है।